हमारी वसीयत और विरासत (भाग 81): आराधना, ...

गंगा, यमुना, सरस्वती के मिलने से त्रिवेणी संगम बनने और उसमें स्नान करने वाले का कायाकल्प होने की बात कही गई है। बगुले का हंस और कौए का कोयल आकृति में बदल जाना तो संभव नहीं, पर इस आधार पर विनिर्मित हुई अध्यात्मधारा का अवगाहन करने से मनुष्य का अंतरंग और बहिरंग जीवन असाधारण रूप से बदल सकता है, यह निश्च...

Sept. 10, 2025, 10:17 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 80): जीवन-साध...

तीसरा पक्ष अहंता का है। शेखीखोरी, बड़प्पन, ठाठ-बाट, सज-धज, फैशन आदि में लोग ढेरों समय और धन खरच करते हैं। निजी जीवन तथा परिवार में नम्रता और सादगी का ऐसा ब्राह्मणोचित माहौल बनाए रखा गया कि अहंकार के प्रदर्शन की कोई गुंजाइश नहीं थी। हाथ से घरेलू काम करने की आदत अपनाई गई। माताजी ने मुद्दतों हाथ से चक्क...

Sept. 8, 2025, 10:02 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 79): जीवन-साध...

देखा गया है कि अपराध प्रायः आर्थिक प्रलोभनों या आवश्यकताओं के कारण होते हैं। इसलिए उनकी जड़ें काटने के लिए औसत भारतीय स्तर का जीवनयापन अपनाने का व्रत लिया गया। अपनी निज की कमाई कितनी ही क्यों न हो; भले ही वह ईमानदारी या परिश्रम की क्यों न हो, पर उसमें से अपने लिए— परिवार के लिए खरच देशी हिसाब से किया...

Sept. 4, 2025, 11:12 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 78): जीवन-स...

यह दैवी उपलब्धि किस प्रकार संभव हुई। इसका एक ही उत्तर है— पात्रता का अभिवर्द्धन। उसी का नाम जीवन-साधना है। उपासना के साथ उसका अनन्य एवं घनिष्ठ संबंध है। बिजली धातु में दौड़ती है, लकड़ी में नहीं। आग सूखे को जलाती है, गीले को नहीं। माता बच्चे को गोदी तब लेती है, जब वह साफ-सुथरा हो। मल-मूत्र से सना हो तो...

Sept. 2, 2025, 9:50 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 77): जीवन-साध...

बालक की तरह मनुष्य सीमित है। उसे असीम क्षमता उसके सुसंपन्न सृजेता भगवान से उपलब्ध होती है, पर यह सशर्त है। छोटे बच्चे वस्तुओं का सही उपयोग नहीं जानते, न उनकी सँभाल रख सकते हैं। इसलिए उन्हें दुलार में जो मिलता है, हलके दरजे का होता है। गुब्बारे, झुनझुने, सीटी, लेमनचूस स्तर की विनोद वाली वस्तुएँ ही मा...

Sept. 1, 2025, 10:31 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 76): उपासना क...

गायत्री माता की सत्ता— कारणशरीर में श्रद्धा, सूक्ष्मशरीर में प्रज्ञा और स्थूलशरीर में निष्ठा बनकर प्रकट होने लगी। यह मात्र कल्पना ही तो नहीं है, इसके लिए बार-बार कठोर आत्मपरीक्षण किया जाता रहा है। देखा कि आदर्श जीवन के प्रति— समष्टि के प्रति अपनी श्रद्धा बढ़ रही है या नहीं। इनके लिए प्रलोभनों और दबाव...

Aug. 31, 2025, 10:21 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 75): उपासना क...

हमें ऐसा ही करना पड़ा है। भगवान की उपासना गायत्री माता का जप और सविता पिता का ध्यान करते हुए करते रहे। भावना एक ही रखी है कि श्रवण कुमार की तरह आप दोनों को तीर्थयात्रा कराने के आदर्श का परिपालन करेंगे। आपसे कुछ माँगेंगे नहीं, आपके सच्चे पुत्र कहला सकें, ऐसा व्यक्तित्व ढालेंगे। आपकी निकृष्ट संतान जैसी...

Aug. 30, 2025, 9:37 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 74): उपासना क...

समझा जाना चाहिए कि जो वस्तु जितनी महत्त्वपूर्ण है, उसका मूल्य भी उतना ही अधिक होना चाहिए। प्रधानमंत्री के दरबार का सदस्य बनने के लिए पार्लियामेंट का चुनाव जीतना चाहिए। उपासना का अर्थ है— पास बैठना। यह वैसा नहीं है, जैसा कि रेलगाड़ी के मुसाफिर एकदूसरे पर चढ़ बैठते हैं, वरन् वैसा है, जैसा कि दो घनिष्ठ म...

Aug. 29, 2025, 10:52 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 73):  उपासना ...

भूल यह होती रही है कि जो पक्ष इनमें सबसे गौण है, उसे ‘पूजा-पाठ’ की उपासना मान लिया गया और उतने पर ही आदि-अंत कर लिया गया। पूजा का अर्थ है— हाथों तथा वस्तुओं द्वारा की गई मनुहार, दिए गए छुट-फुट उपचार, उपहार। पाठ का अर्थ है— प्रशंसापरक ऐसे गुणगान, जिसमें अत्युक्तियाँ ही भरी पड़ी हैं। समझा जाता है कि ईश...

Aug. 28, 2025, 10:43 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 72): महामानव ...

उचित होगा कि आगे का प्रसंग प्रारंभ करने के पूर्व हम अपनी जीवन-साधना के— स्वयं की आत्मिक प्रगति से जुड़े तीन महत्त्वपूर्ण चरणों की व्याख्या कर दें। हमारी सफल जीवनयात्रा का यही केंद्रबिंदु रहा है। आत्मगाथा पढ़ने वालों को इस मार्ग पर चलने की इच्छा जागे; प्रेरणा मिले, तो वे उस तत्त्व दर्शन को हृदयंगम करें...

Aug. 27, 2025, 9:58 a.m.

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन मेमोरियल नेशनल ...

नई दिल्ली, 5 सितम्बर 2025। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के पावन अवसर पर “डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन मेमोरियल नेशनल अवॉर्ड्स – 2025” का भव्य आयोजन कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया, संसद मार्ग, नई दिल्ली में संपन्न हुआ। यह गरिमामय समारोह इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिफॉर्म्स एंड हायर एजुकेशन चैरिटेबल ट्रस्ट,...

Sept. 10, 2025, 11:30 a.m.

Dev Sanskriti Vishwavidyalaya signs MoU ...

Dev Sanskriti Vishwavidyalaya had the honour of hosting Dr. Jana Kočí, Ph.D., Assistant Professor of Health and Well-being Education at Charles University (School of Education & School of Arts, Czech Republic) and distinguished author of “Well-being and Success for University Students.” During her v...

Sept. 9, 2025, 4:32 p.m.

शांतिकुंज से उठ रही है युग क्रांति की लह...

हरिद्वार, 8 सितंबर 2025 (संवाददाता): शांतिकुंज, हरिद्वार—जो परम पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा स्थापित युग तीर्थ है—आज उनके दिव्य स्वप्नों को साकार करता हुआ 'क्रांतिकुंज' के रूप में आकार ले रहा है। पूज्य गुरुदेव अकसर कहा करते थे कि “शांतिकुंज से आने वाले समय में क्रांतियाँ रेलगाड़ी के...

Sept. 9, 2025, 12:52 p.m.

International Literacy Day Observed at D...

Organised By : Kriti ( Creative Club ) : Dev Sanskriti Student's Club & Department of Computer Science, International Literacy Day on the theme “Promoting Literacy in the Digital Era" was organised at DSVV. The program highlighted that in today’s world, literacy is not confined to reading and writin...

Sept. 9, 2025, 9:41 a.m.

आपदा प्रबंधन हेतु शांतिकुंज में प्रशिक्ष...

हरिद्वार, 7 सितम्बर 2025। प्राकृतिक या मानवजनित आपदाओं के समय मानव सेवा को सर्वोपरि मानने वाली संस्था, अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा शांतिकुंज मुख्यालय में एक राष्ट्र रक्षा-आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य प्रतिभागियों को हर स्थिति में सेवा के लिए दक्ष और म...

Sept. 8, 2025, 10:41 a.m.

दो दिवसीय महाप्रयाण दिवस कार्यक्रम का सम...

हरिद्वार, 7 सितम्बर। गायत्री परिवार की संस्थापिका वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा जी के महाप्रयाण दिवस पर आयोजित दो दिवसीय श्रद्धांजलि कार्यक्रम का समापन शांतिकुंज परिसर में दीप महायज्ञ के साथ अत्यंत श्रद्धा और भावपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ। भाद्रपद पूर्णिमा के पावन अवसर पर आयोजित इस विशेष आयोजन मे...

Sept. 8, 2025, 10:29 a.m.

शांतिकुंज में माता भगवती देवी शर्मा के म...

हरिद्वार, 7 सितंबर 2025 - परम वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा के महाप्रयाण दिवस के उपलक्ष्य में, शांतिकुंज में आयोजित दो-दिवसीय कार्यक्रम के द्वितीय दिवस का शुभारंभ प्रातः 5 बजे से 7 बजे तक चले अखंड जप के साथ हुआ। अखंड जप के समापन के बाद, शांतिकुंज का पूरा वातावरण शंख, घंटे, घड़ियाल और युगनिर्माणी जयघ...

Sept. 8, 2025, 10:13 a.m.

माताजी की 31वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धा, भक...

हरिद्वार, 7 सितंबर। गायत्री परिवार की संस्थापिका, युगमाता वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा जी की 31वीं पुण्यतिथि पर शांतिकुंज मुख्यालय सहित देश-विदेश के हजारों प्रज्ञा केंद्रों, महिला मंडलों एवं सेवाकेंद्रों पर विविध श्रद्धांजलि कार्यक्रम श्रद्धा व गरिमा के साथ आयोजित किए गए। इस अवसर पर महिलाओं द्वारा ...

Sept. 8, 2025, 9:59 a.m.

देव संस्कृति विश्वविद्यालय में “वैश्विक ...

हरिद्वार, 6 सितंबर। देव संस्कृति विश्वविद्यालय, शांतिकुंज में “वैश्विक समस्याएं और सनातन समाधान” विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में देशभर के 20 से अधिक विश्वविद्यालयों के 142 शोधार्थियों ने सहभागिता करते हुए समसामयिक वैश्विक संकटों पर आधारित शोध पत्र प्रस्तुत किए। कार...

Sept. 8, 2025, 9:42 a.m.

राष्ट्र रक्षा आपदा प्रबंधन शिविर संपन्न...

शांतिकुंज, हरिद्वार शांतिकुंज हरिद्वार में 5 से 7 सितंबर तक राष्ट्र रक्षा आपदा प्रबंधन शिविर का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह शिविर सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) के युग शिल्पी प्रशिक्षण शिविर से जुड़े 200 प्रतिनिधियों की सहभागिता में संपन्न हुआ। शिविर का शुभारंभ शांतिकुंज व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गि...

Sept. 6, 2025, 3 p.m.
as

First Meeting With Guru

At the age of 15- Self-realization on Basant Panchanmi Parva 1926 at Anwalkheda (Agra, UP, India), with darshan and guidance from Swami Sarveshwaranandaji.

Akhand Deep

More than 2400 crore Gayatri Mantra have been chanted so far in its presence. Just by taking a glimpse of this eternal flame, people receive divine inspirations and inner strength.

Akhand Jyoti Magazine

It was started in 1938 by Pt. Shriram Sharma Acharya. The main objective of the magazine is to promote scientific spirituality and the religion of 21st century, that is, scientific religion.

Gayatri Mantra

The effect of sincere and steadfast Gayatri Sadhana is swift and miraculous in purifying, harmonizing and steadying the mind and thus establishing unshakable inner peace and a sense of joy filled calm even in the face of grave trials and tribulations in the outer life of the Sadhak.

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।